Dependency on our revered political leaders is ......... :
:
"काम उनसे आ पड़ा है जिसका जहान में
लेवे न कोई नाम सितमगर कहे बगैर।"
(-मिर्ज़ा ग़ालिब)
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14.04.2014
A poor always dreams for resources but it is never likely to reach him in a perverse kind of system :
"हमारे ज़ेहन में इक फिक्र का है नाम विसाल
कि गर न हो, तो कहाँ जाएँ, हो तो क्यूँकर हो।"
(-मिर्ज़ा ग़ालिब)
शब्दार्थ: (1) फिक्र = सोच, (2) विसाल = मिलन
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14.04.2014
All of bad experiences of past look soothing if you finally
succeed :
"पाँव के ज़ख्म पे जो तुझको रहम आया है
तेरी राह के काँटों को हम प्यारी घास कहते हैं।"
(-मिर्ज़ा ग़ालिब के शेर का सरल रूप)
Original sher is as foloows:
"पा-ए-अफगार पे जब से तुझे रहम आया है
खारे-रह को तेरे हम मेह्र गिया कहते हैं।"
(-मिर्ज़ा ग़ालिब)
शब्दार्थ: (1) पा-ए-अफगार = ज़ख़्मी पाँव, (2) खारे-रह = राह का
काँटा, (3) मेह्र गिया = प्रेम रुपी घास
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Keep yourself enthused even in the face of most severe
handicap :
"गो हाथ को जुम्बिश नहीं, आँखों में तो दम है
रहने दो अभी सागर-ओ-मीना मेरे आगे।"
(-मिर्ज़ा ग़ालिब)
शब्दार्थ : (1) गो = हालांकि, (2) जुम्बिश = हिलना, (3)
सागर-ओ-मीना = शराब का जग और प्याला
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14.04.2014
Experimentalism persists till you find someone worthy to rely
upon :
"चलता हूँ थोड़ी दूर हर एक तेज रौ के साथ
पहचानता नहीं हूँ अभी राहबर को मैं।"
(-मिर्ज़ा ग़ालिब)
शब्दार्थ: (1) तेज रौ = तेज चलनेवाला चेहरा, (2) राहबर = पथ-प्रदर्शक
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12.04.2014
All of bad experience of past look soothing if you finally succeed :
12.04.2014
All of bad experience of past look soothing if you finally succeed :
"पाँव के ज़ख्म पे जो तुझको रहम आया है
तेरी राह के काँटों को हम प्यारी घास कहते हैं।"
(-मिर्ज़ा ग़ालिब के शेर का सरल रूप)
Original sher is as foloows{
"पा-ए-अफगार पे जब से तुझे रहम आया है
खारे-रह को तेरे हम मेह्र गिया कहते हैं।"
(-मिर्ज़ा ग़ालिब)
शब्दार्थ: (1) पा-ए-अफगार = ज़ख़्मी पाँव, (2) खारे-रह = राह का काँटा,
(3) मेह्र गिया = प्रेम रुपी घास
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14.03.2014
If you are facing discomfiture of sorts, people will identify you
If you are facing discomfiture of sorts, people will identify you
only with that. All extraordinary things of yours even your
good heart will be ignored by them :
"हस्ती का एतिबार भी गम ने मिटा दिया
किससे कहूँ कि दाग, जिगर का निशान है।"
(-मिर्ज़ा ग़ालिब)
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14.03.2014
Achieving one’s own goal is an enviable proposition, still the
truly devoted ones love to talk about it.
"छोड़ा न रश्क़ ने कि तेरे घर का नाम लूँ
हर एक से पूछता हूँ
कि जाऊं किधर को मैं।"
(-मिर्ज़ा ग़ालिब)
शब्दार्थ: (1) रश्क़ = ईर्ष्या
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In general, people wait for happiness like an anxious person
In general, people wait for happiness like an anxious person
who waits for his beloved at the door standing like a
gatekeeper of his own house.
"वादा आने का वफ़ा कीजे , ये क्या अंदाज़ है
तुमने क्यूँ सौंपी है मेरे घर की दरबानी मुझे। "
(-मिर्ज़ा ग़ालिब)
The message of the ‘sher’ is that people should enjoy the
pleasures of the resources they already have rather than
spoiling their time for some uncertain happiness in future.
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The irony of life is your most coveted things are often found
with something even more nauseated ones :
"जाना पड़ा रकीब के दर पर हजार बार
ऐ काश जानता न तेरी रहगुजर को मैं।"
(-मिर्ज़ा ग़ालिब)
शब्दार्थ: (1) रकीब = प्रेमिका का दूसरा प्रेमी, (2) दर = दरवाजा , (3)
रहगुजर = रास्ता
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