Friday, 14 March, 2014
गरचे है किस-किस बुराई से, वले बा ईं हमा
ज़िक्र मेरा मुझसे बेहतर है कि उस महफ़िल में है।"
('ग़ालिब')
शब्दार्थ : (1) गरचे = हालांकि, (2) वले बा ईं हमा = इन सबके
बावजूद
Ghalib is saying that his beloved always names him while
cursing but he feels that his curses are more fortunate that
him which finds places near her.
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General Election is like a doorstep of lover...
"फिर खुला है दरे-अदालते-नाज़
गर्म बाज़ारे-फौज़दारी है।
फिर हुए हैं गवाहे-इश्क तलब
अश्कबारी का हुक्म जरी है।"
शब्दार्थ::(1) दरे-अदालते-नाज़ = प्रियवर की अदालत का द्वार, (2)
फौज़दारी = मार-पीट, (3) तलब = बुलाये गए, (4) अश्कबारी = आंसू
बहाना
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Today is the death anniversary of MIRZA GHALIB :
"ये न थी हमारी किस्मत कि विसाले-यार होता
अगर और जीते रहते, यही इन्तजार होता ।
तेरे वादे पे जीए हम तो ये जान झूठ जाना
कि ख़ुशी से मर न जाते अगर एतबार होता ।
कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीरे-नीमकश को
ये खलिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता । "
(-ग़ालिब')
शब्दार्थ:(1) विसाले-यार = प्रेमी से मिलन, (2) तीरे-नीमकश = वह
तीर जो घाव में से आधा खींचकर छोड़ दिया गया हो, (3) खलिश = दर्द
की टीस
Meaning of third sher : Ghalib says I am fortunate that my
beloved has left me while my love was still rising. And that is
why I am able to experience the rare kind of supreme
emotional pain which was not possible, had she been with
me.